बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

थकना मना हैं

मन
मन बड़ा ही कुटील हैं,ये नचाता हैं और हम नाचते हैं
पल भर में हमे दुनिया से रूबरू कराता हैं,तो अगले ही पल ख्वाबों से जगा देता हैं।
मन से बड़ा बहुरूपिया कोई नही हैं।
मन को साधो और दुनिया पर राज़ करो।
ध्यान,योगा मन को साधने के उत्तम उपायों में से एक हैं।

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