सभी लोगो ने अपने जीवन में कई बसंत देखे होंगे,पर उन बसंत को बहुत कम ही लोगो ने जीया होगा।
बसंत यानी कि जिसमें मौसम गुलज़ार हो जाता हैं,वादियाँ महक उठती हैं,कलियाँ फूलों में बदलने लगती हैं;बसंत मतलब झरने की वो मधुर धार,कोयल की वो दिलकश पुकार;कोयल की कूह से समाँ बंध सा जाता हैं,यानी सबकुछ खुशनुमा। इसे ठीक यूँ ही हम अपनी जिंदगी में देख सकते हैं,बसंत-यानि खुशी;बसंत यानि अनोखा पल;बसंत यानि बचपन फिरसे;बसंत यानि दिल की वो अनसुनी आवाज;बसंत यानि सबकुछ पुराने से नये में तब्दील होना।
ज़िदगी को बसंत बनाइए और पतझड़ के बाद आने वाली पत्तियों की तरह खिल उठिए,जिंदगी गुलज़ार हो उठेगी।
क्यों न हम भी ऐसे बसंत को हमारी जिंदगी का बसंत बनालें,अभी से।
बसंत पंचमी को सभी को ढेरो शुभकामनाएं अभी से।
सन्तोष यादव
ज़िन्दगी एक किताब की तरह हैं,कुछ पन्नों को आपके सामने लाने की कोशिश हैं बस .............
रविवार, 7 फ़रवरी 2016
बसंत पंचमी और हम
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आओ किसी के लिए सांता बने
(कविता) माटी के उस ढेर से ,आओ चीज नवीनता से सने । बाँटकर खुशियाँ दुखियारों में,आओ किसी के लिए सांता बने।। जीवन की राह कठिन हैं,साहस व धैर...
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