जीवन में जब तक दुखो से हमारा सामना नहीं होता हैं तब तक हम खुशियों का महत्व नहीं समझ पाते हैं,और ये अनुभव हम सबके साथ होता हैं।
जब हम चाय पीते हैं,और उसके बाद फिर कोई मीठी चीज खाते हैं तो हमे उसकी मिठास का एहसास कम होगा,ठीक यही बात जीवन पर लागू होती हैं,यदि जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ होगी तो शायद हम उन खुशियों का महत्व नहीं समझ पाएँगे।
इसलिए जीवन में जब भी दुःख आए तो घबराना नहीं हैं बल्कि उसका डटकर सामना करना हैं,क्यूंकि गम के बाद खुशियों की दस्तक अपने आप में एक सुखद एहसास होता हैं;और ये एहसास लम्बे समय तक रहता हैं।
गम और ख़ुशी का गहरा नाता हैं;और ये नाता कभी नही टूटने वाला हैं।
तकलीफों से अगर हार गए तो शायद खुशियाँ आपकी दहलीज पर दस्तक न दें।
तो दुखो को जिन्दगी का हिस्सा मानकर आगे बढ़े।
ज़िन्दगी एक किताब की तरह हैं,कुछ पन्नों को आपके सामने लाने की कोशिश हैं बस .............
सोमवार, 8 फ़रवरी 2016
दुःख और खुशी
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आओ किसी के लिए सांता बने
(कविता) माटी के उस ढेर से ,आओ चीज नवीनता से सने । बाँटकर खुशियाँ दुखियारों में,आओ किसी के लिए सांता बने।। जीवन की राह कठिन हैं,साहस व धैर...
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(कविता) माटी के उस ढेर से ,आओ चीज नवीनता से सने । बाँटकर खुशियाँ दुखियारों में,आओ किसी के लिए सांता बने।। जीवन की राह कठिन हैं,साहस व धैर...
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